Wheat Export Ban
केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाए जाने के कारन उसका असर एक दिन में ही देखने को मिला। मंडी के बाहर हुई खरीदी में गेहूं के भाव 200 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए। व्यापारियों द्वारा भाव में 300 से 400 तक की गिरावट की आशंका जताई जा रही है। वहीं सरकार के फैसले से व्यापारियों की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं, जिसके चलते गल्ला केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाए जाने का असर एक दिन में ही देखने को मिला।
निर्यात पर रोक लगने के कारण Wheat Export Ban
दरअसल देश में गेहूं का भंडारण कम होने की बात कहकर केंद्र सरकार द्वारा 13 मई की रात से ही गेहूं के दूसरे देशों में निर्यात पर रोक लगा दी गई है। जबकि सरकार द्वारा पहले 31 जून तक निर्यात करने की बात कही गई थी। जिसका असर शनिवार को ही दिखाई दिया।
वैसे तो कृषि उपज मंडी शनिवार को बंद रही, लेकिन मंडी से बाहर की गई खरीदी के दौरान व्यापारियों द्वारा 200 रुपए तक के भाव कम लगाए गए, जिसकी वजह से अभी तक किसानों को अधिक लाभ मिल रहा था वह प्रभावित होगा। दूसरे देशों में निर्यात के कारण मंडी में इस बार कई राज्यों से व्यापारी खरीदारी करने आए जिसकी वजह से ही गेहूं के भाव 2350 से 2400 तक रहा। कृषि उपज मंडी में समर्थन मूल्य से ज्यादा भाव मिलने के कारण इस साल किसानों को भी अच्छा खासा फायदा पहुंच रहा था।
गेहूं के निर्यात पर बैन पर भारत के समर्थन में आया चीन, G7 देशों को दिया करारा जवाब
Wheat Export Ban: भारत ने गेहूं के नरियात पर बैन लगाया तो दुनियाभर में कई देश उसकी आलोचना करने लगे। G7 के सदस्य देशों ने भी भारत के इस कदम की आलोचना की लेकिन चीन अब भारत के बचाव में उतर गया है। चीन ने भारत के बचाव में कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों को दोष देने से वैश्विक खाद्य संकट का समाधान नहीं होगा। चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, “अब, G7 के कृषि मंत्री भारत से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाने की अपील कर रहे हैं, लेकिन G7 राष्ट्र अपने निर्यात में वृद्धि करके खाद्य बाजार की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए स्वयं कदम क्यों नहीं उठाते?”
बता दें कि देश में आटे गेहूं की बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्र ने गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है। इसपर जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा था कि भारत के गेहूं निर्यात पर बैन के इस कदम से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट बढ़ जाएगा।
निर्यात पर रोक लगाने से कहा तक हो सकती हे गिरावट
निर्यात पर रोक लगाए जाने से किसानों के साथ-साथ व्यापारियों का नुकसान हुआ। व्यापारियों की पूंजी खत्म हो जाएगी। ऐसे में मंडी में भाव में 300 से 400 तक की गिरावट आएगी। मंडियों को बंद करने का सोमवार को बैठक कर निर्णय लिया जाएगा।
PDS(राशन दुकान) पर बिल्कूल नहीं पड़ेगा असर
जानकारों के मुताबिक अगर आगे कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार के लिए टारगेट आडिंयस पर इसका असर नहीं होगा, सरकार के पास पर्याप्त बफर स्टॉक है. इसलिए वो सरकारी राशन दुकान या अन्य स्कीमों पर असर नहीं होगा. सरकार के पास अभी 1.90 करोड़ टन का बफर स्टॉक है. जबकि, मानकों के मुताबिक 74 करोड़ टन जरूरत है. इसका मतलब कि सरकार के पास अभी पर्याप्त स्टॉक है. इसलिए पीडीएस या स्कीम में जाने के लिए कोई चिंता नहीं है.
व्यापारिओं को होगी मुसीबत
सरकार के फैसले से व्यापारियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। क्योंकि व्यापारियों द्वारा जितना माल मंडी से खरीदा गया है वह अधिकांश स्टाक में है। इसके अलावा जो माल ज्यादा भाव में बेचा है, उसकी डिलीवरी लेने से एक्सपोर्टर मना कर रहे हैं। खास बात यह है कि व्यापारियों की पूंजी खत्म होने से उनका रोटेशन बिगड़ जाएगा।
मंडियों से अच्छा भाव मिल रहा है-किसान खुश
सरकार का इस साल 444 लाख टन खरीद का लक्ष्य है. सरकारी खरीद 20 अप्रैल तक 110 लाख टन रही है जो पिछले साल इस दौरान 135 लाख टन थी. सरकार ने इस सीजन के लिए 2015 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय किया है. मध्य प्रदेश में किसानों को 2020-2220 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में 2020-2117 का भाव मंडियों में मिल रहा है. मंडियों में ITC समेत गेहूं के एक्सपोर्ट सक्रिय हैं. सीजन की शुरुआत में MSP से अच्छे भाव के चलते किसान अपनी फसल से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों को MSP से 10 फीसदी ज्यादा भाव मिल रहा है. वहीं, पंजाब, हरियाणा में किसानों को 5 फीसदी ज्यादा मिल रहा है.